काला जैकेट
सुबह का सूरज निकल चुका है, अलार्म जोर जोर से बज रहा है वैभवी अभी तक सो रहीं है.. वैभवी की माँ- उठ जाँ बेटा 8 बज गए कॉलेज नहीं जाना क्या तुझे कितनी आलसी हो गयी है तू.. वैभवी - अरे मोम मेरी प्यारी ममा उठ रहीं हू, परेशान मत होउ. वैभवी उठती है अपनी माँ को गाल पर किस करती है बोलती है लव यू मोम. माँ - बस कर बेटा जा पहले तैयार हो जाओ कॉलेज के लिए …। वैभवी - पापा.... Ooo मेरे पापा.. कहा हो. माँ - बाहर बाल्कनी में अखबार पड रहे है.. वैभवी पापा के पास जाती है बोलती है, - हैलो पापा गुड मोर्निंग इतने परेशान क्यु हो मेरे हीरो.
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वैभवी के पापा - अरे बेटा हर रोज ये रेप, ल़डकियों से छेड़ छाड़ की ख़बर रूह हिला देती है सोचने पर मजबूर कर देती है आज की ये हैवानियत... हे भगवान कुछ तो करो.. कुछ तो करो. वैभवी - अरे पापा आप परेशान मत हो गवर्नमेंट कुछ कानून बना देगी इनके लिए ese लोगों को भी जल्दी ही सज़ा मिलेगी आप परेशान मत हो.. पापा - बेटा परेशान क्यु न होउ मेरी भी बेटी है न... वैभवी - अरे.... पापा टेंशन नक्को रे... आप हीरो और apki बेटी किसी सुपर हीरो से कम थोड़ी न है.. पापा - हा.. हा ठीक है, ठीक है अब जाँ तैयार हो जा कॉलेज जाना हैं न.. जा बेटा फटा - फट तैयार हो जा.. वैभवी - OK पापा...
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कुछ समय बाद... वैभवी की माँ - अरे बेटा कहा है ये ले जल्दी नाश्ता कर ले.. वैभवी - अरे मोम माँ कर रहीं कुछ... कर रहीं हू | तुरंत दरवाजा दरवाजे की बेल बजती है.. माँ - अब कौन आ गया... वैभवी - वही आयी होगी मोटी... मेरी गोलगप्पू.. दरवाजा खुलता है ज्योति जो कि वैभवी की बचपन की दोस्त है... मज़ाक बनाते हुए कहती हैं.. ज्योति - हाँ मैं तो हुई मोटी.. तू क्या है फिर हवा का आया नहीं के उड़ जाए.. वैभवी - हाँ मोटी तू है न मुझे पकडने के liy. ज्योति - हा ठीक.. है,
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ठीक है अब ज्यादा सेंटी मत हो. उसी व्क्त वैभवी के पापा बोलते है.. Papa - तुम दोनों की दोस्ती और मजाक मस्ती आज भी बचपन जेसी है.. ज्योति वैभवी के पापा के गले लग कर बोलती हैं - हाँ अंकल वो तो है और हम आपकी बेटियाँ.. वैभवी - ज्योति को दूर हटाते हुए बोलती है... हट.. हट.. हट ..ये मेरे हीरो हैं.. ज्योति - देखो न अंकल ये ऎसे क्यु करती है... पापा - अरे बेटा अजा तू भी आ.. और दोनों का सर चूमते और मुस्कराते हुए बोलते है तुम दोनों ही मेरी बेटी हो.. ज्योति - ओके ठीक है अंकल अब हम चलते है.. पहले ही इस वैभवी ने बहुत देर करा दी है.
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पापा - हाँ ठीक है बेटा आराम से जाना और ध्यान रखना ..मुझे भी ऑफिस के लिए निकालना है. ..ज्योति और वैभवी बिल्डिंग की लिफ्ट में जाते है.. लिफ्ट में नीचे के फ्लोर का एक 10 साल का बच्चा भी आता उसके साथ उसकी मम्मी होती है वो भी स्कूल जाने के लिए लिफ्ट से नीचे जाँ रहे होते है.. Tabhi वो बचा जिसका नाम रॉबिन होता है.. बोलता है.. - गुड मॉर्निंग विभु दीदी. ..वैभवी - ह्म्म्म्म. गुड मॉर्निंग रॉबिन और बता केसे बेटा जान.. रॉबिन - एक दम मस्त.. आप बताओ दीदी.? ..वैभवी - मेरा रॉबिन मस्त तो मैं भी मस्त हू और बता तेरी फुटबॉल मिली जो तूने... Kal... रॉबिन - ssssssssss.... धीरे बोलो दीदी मम्मी सुन लेगी के कल मेरी फुटबॉल न बॉबी आंटी के घर का कांच तोड़ दिया था....
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मम्मी को पता लगा तो मेरा तो खेलना बंद. वैभवी-अरे टेंशन नक्को रे.. मै न्यू फुटबॉल दिला दूंगी तुझे जा अभी स्कूल जाँ मुझे भी कॉलेज जाना हैं..ज्योति स्कूटर निकालती हाँ अपना और वैभवी के पास आती है बोलती है.- चल अब जल्दी बैठ चलते है.. वो दोनों कॉलेज पहुच जाते है और कैम्पस मैं आते ही उन्हें राहुल नाम का एक लड़का परेशान करता है. अरे कहा चली जान रुक जाओ.. ज्योति - अबे.. ओये.. तेरे पास कोई काम नहीं है क्या बे आ जाता है मुह उठा के.. राहुल - तू चुप कर मोटी... तुझमे कोई इंट्रेस्ट नहीं है मेरा मेरा तो इस वैभवी में है..वैभवी-अपना घुटने को राहुल की टांगों के बीच अचानक से उठा देती है... राहुल अचानक डर जाता है. वैभवी-और बेटा मे तेरा वो हाल करुँगी की बाद. मे तेरा किसी मे इंट्रेस्ट नहीं रहेगा..हट बे सामने से. ऐसा करके वैभवी और ज्योति दोनों क्लास मैं चली जाती है.
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अब मुझे समझ मे आ गया था की,,, अभय के मरने की बात लीक क्यूँ नहीं हुई,,, और उस dcp ने ही उन लोगों एक्सीडेंट मे मरवा दिया जिन्होंने झूठा जुर्म कबूल किया था,,, और बचे एक बंदे को उसने हमारे सामने मार दिया था। अरुण - अच्छा तो,,, ये माजरा था,,, पर उसने मुझे क्यूँ पकडा और वो मुझसे ये क्यूँ पूछ रहा था कि उसके दोस्त को मैंने मारा है? वैभवी - देखो,,, अरुण उसे मेरे बारे मैं शायद कोई सबूत नहीं मिला था इसलिए वो,,, तुम पर शक करने लगा होगा,,, क्यूँकी उस व्क्त तुम ही इस केस को सुलझाने के पीछे पड़े थे,,, तो उसे लगा होगा तुम "Black jacket" हो isliy उसने तुम्हें ट्रेन से उठाया। अरुण - पर तुम्हें ये,, कैसे पता चला कि,, वो लोग मुझे पकड़ कर यहां लाए है? वैभवी - जब मुझे ये confirm हो गया कि उन लोगों ने पकड़ा है तो,,, मैं सोचने लगी वो तुम्हें कहाँ ला सकते है,,, फिर मुझे याद आया कि जब मैं अभय की कार मे छुप रहीं थीं,,, तो वो किसी से बात कर रहा था अरे dcp सहाब अभी आपकी आवाज ठीक से नहीं आ रहीं हैं मैं मिलता हूँ,,, गोदाम में आपको। उस व्क्त वो अपने दोस्त dcp से ही बात कर रहा था पर कौन से गोदाम की बात कर रहा था,,, तब मुझे याद आया कि जहां मैंने अभय को मारा था वहा... एक पुल के नीचे एक गोदाम था,,, तो मुझे लगा शायद वो अभय उस व्क्त यहीं आ रहा होगा। इसलिए मैंने जब इस गोदाम के पास आकार देखा तो बाहर वही कार खड़ी थी,,, जो उस dcp के पास थी,, और जो मैंने उस फोटो मैं देखी थी।
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Miss Lipsa
08-Sep-2021 08:57 AM
Are waah
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Aliya khan
07-Jul-2021 06:38 AM
Nice
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Manish Kumar(DEV)
01-Feb-2021 04:22 PM
good story
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